Eighth Pay Commission केंद्र सरकार ने हाल ही में जनवरी महीने में आठवें वेतन आयोग की स्थापना की घोषणा की है। इस घोषणा से देश के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों में वेतन वृद्धि को लेकर उत्साह का माहौल है। प्रधानमंत्री ने आठवें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है और शीघ्र ही इसके लिए एक अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी।
अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि इस आयोग को 2026 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। इसके बाद ही आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की जाएंगी, जिससे केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी होगी।
फिटमेंट फैक्टर: वेतन वृद्धि का महत्वपूर्ण कारक
वेतन आयोग के क्रियान्वयन में ‘फिटमेंट फैक्टर’ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक है जो कर्मचारियों के वेतन में होने वाली वृद्धि को निर्धारित करता है। सातवें वेतन आयोग में यह फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिससे मूल वेतन में 157% की वृद्धि हुई थी।
अब नेशनल काउंसिल जॉइंट कंसलटेटिव मशीनरी (NCJCM) ने आठवें वेतन आयोग के लिए फिटमेंट फैक्टर कम से कम 2.57 या उससे अधिक होने की मांग की है। NCJCM के सचिव श्री गोपाल मिश्रा के अनुसार, यह फैक्टर 2.57 से अधिक होना आवश्यक है।
आठवें वेतन आयोग के संभावित प्रभाव
वेतन में अभूतपूर्व वृद्धि
आठवां वेतन आयोग लागू होने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की संभावना है। उदाहरण के लिए, यदि फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा जाता है, तो जिस कर्मचारी का वर्तमान मूल वेतन 18,000 रुपये है, उसका वेतन बढ़कर 46,260 रुपये हो सकता है। यह आंकड़ा वेतन में लगभग 157% की वृद्धि दर्शाता है।
इसके अलावा, यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 रखा जाता है, जैसा कि कुछ सूत्रों ने सुझाया है, तो वेतन वृद्धि और भी अधिक हो सकती है। हालांकि, अर्थसचिव सुभाष गरगड़ के अनुसार, 1.92% का फिटमेंट फैक्टर अधिक व्यावहारिक हो सकता है।
पेंशन में वृद्धि
केवल सेवारत कर्मचारियों को ही नहीं, बल्कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी इस वेतन आयोग का लाभ मिलेगा। न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये से बढ़कर 23,130 रुपये प्रति माह होने की संभावना है। यह पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ी राहत होगी, विशेष रूप से बढ़ती महंगाई के समय में।
मूल वेतन में वृद्धि
सातवें वेतन आयोग में कर्मचारियों का न्यूनतम मूल वेतन 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गया था। आठवें वेतन आयोग में, यदि फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा जाता है, तो न्यूनतम मूल वेतन बढ़कर 46,260 रुपये होने की संभावना है। यह कर्मचारियों की क्रय शक्ति में महत्वपूर्ण सुधार लाएगा।
वेतन आयोग का इतिहास और महत्व
केंद्र सरकार लगभग हर 10 वर्षों में वेतन आयोग की स्थापना करती है। सातवां वेतन आयोग 2014 में स्थापित किया गया था और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गई थीं। इससे पहले, छठा वेतन आयोग 2006 में लागू किया गया था।
वेतन आयोग का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और सेवा शर्तों की समीक्षा करना और उनमें सुधार करना है। यह कर्मचारियों के वेतन को महंगाई और अर्थव्यवस्था की स्थिति के अनुरूप समायोजित करने में मदद करता है।
राज्य सरकारों पर प्रभाव
केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करने के लिए राज्य सरकारें कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं। हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के बाद अधिकांश राज्य सरकारें कुछ संशोधनों के साथ इन सिफारिशों को लागू करती हैं।
सातवें वेतन आयोग के मामले में, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों ने अपने कर्मचारियों को वेतन आयोग के लाभ देने के लिए कुछ संशोधनों के साथ सिफारिशों को स्वीकार किया था। आठवें वेतन आयोग के मामले में भी इसी तरह की प्रक्रिया का पालन किए जाने की संभावना है।
फिटमेंट फैक्टर पर विशेषज्ञों की राय
फिटमेंट फैक्टर के निर्धारण पर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। NCJCM के श्री गोपाल मिश्रा के अनुसार, फिटमेंट फैक्टर 2.57 से अधिक होना चाहिए, जबकि अर्थसचिव सुभाष गरगड़ का मानना है कि 1.92% का फिटमेंट फैक्टर अधिक व्यावहारिक हो सकता है।