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खाद्य तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट, देखें नए रेट edible oil prices

edible oil prices भारतीय रसोई का अभिन्न अंग है सरसों का तेल। स्वास्थ्य लाभ से भरपूर यह तेल न केवल स्वादिष्ट व्यंजनों का आधार है, बल्कि आयुर्वेदिक गुणों से समृद्ध भी है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में सरसों तेल की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, जिससे आम उपभोक्ता प्रभावित हो रहा है। आज, 8 मार्च 2025 को, हम सरसों तेल की वर्तमान कीमत, बाजार के रुझान और भविष्य की संभावनाओं पर एक विस्तृत नज़र डालेंगे।

वर्तमान बाजार स्थिति

आज की तारीख में सरसों के तेल की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। यह समाचार उन सभी उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात है, जो लंबे समय से महंगाई की मार झेल रहे थे। वर्तमान में प्रति लीटर सरसों तेल की कीमत ₹150 से ₹160 के बीच है, जो अपने उच्चतम स्तर ₹210 प्रति लीटर से काफी कम है।

विभिन्न शहरों में कीमतों की तुलना करें तो न्यूनतम स्तर पर सरसों का तेल ₹150 प्रति लीटर है, जबकि अधिकतम स्तर पर यह ₹220 प्रति लीटर तक पहुंच जाता है। यह मूल्य अंतर विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे:

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  1. स्थानीय मांग और आपूर्ति
  2. परिवहन लागत
  3. स्थानीय कर संरचना
  4. थोक और खुदरा विक्रेताओं का मार्जिन

प्रमुख बाजारों में सरसों तेल के दाम

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में, विशेषकर पश्चिमी क्षेत्र के सहारनपुर जिले में, सरसों का तेल अपेक्षाकृत कम कीमत पर उपलब्ध है। क्विंटल के हिसाब से सरसों तेल का वर्तमान मूल्य ₹13,910 से ₹14,310 के बीच है। यह समय सरसों का तेल खरीदने के लिए अनुकूल माना जा रहा है, क्योंकि ऐसी गिरावट बार-बार नहीं देखने को मिलती।

गुजरात

गुजरात में मूंगफली तेल, जो सरसों तेल का एक प्रतिस्पर्धी विकल्प है, की कीमत ₹7,260 प्रति क्विंटल है। मूंगफली रिफाइंड तेल का भाव ₹2,160 से ₹2,460 प्रति टन के बीच है। गुजरात में तेल उत्पादन के केंद्र होने के कारण यहां के दाम अन्य राज्यों की तुलना में कम रहते हैं।

दिल्ली और आसपास के क्षेत्र

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सरसों के तेल की विभिन्न किस्मों के भाव इस प्रकार हैं:

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  • सरसों तेल दादरी: ₹13,760 प्रति क्विंटल
  • सरसों पक्की घानी: ₹2,360 से ₹2,430 प्रति टीन
  • सरसों कच्ची घानी: ₹2,320 से ₹2,425 प्रति टीन

तेल कीमतों में गिरावट के कारण

वर्तमान में सरसों तेल की कीमतों में जो गिरावट देखी जा रही है, उसके पीछे कई कारण हैं:

1. अच्छी फसल की प्राप्ति

इस वर्ष सरसों की फसल अच्छी रही है, जिससे बाजार में आपूर्ति बढ़ी है। उत्पादन में वृद्धि ने स्वाभाविक रूप से कीमतों पर अनुकूल प्रभाव डाला है।

2. अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में गिरावट

वैश्विक स्तर पर खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट का प्रभाव घरेलू बाजार पर भी पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल जैसे विकल्पों की कीमतों में कमी आने से सरसों तेल के दाम भी प्रभावित हुए हैं।

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3. सरकारी नीतियां

सरकार द्वारा खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क में संशोधन और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार के उपायों ने भी कीमतों को नियंत्रित करने में मदद की है।

4. मौसमी कारक

सरसों की फसल मौसमी होती है, और फसल कटाई के मौसम के बाद कीमतों में आमतौर पर गिरावट देखी जाती है। वर्तमान गिरावट इसी चक्र का हिस्सा भी हो सकती है।

अन्य खाद्य तेलों की तुलनात्मक कीमतें

सरसों तेल के साथ-साथ अन्य खाद्य तेलों की वर्तमान कीमतें इस प्रकार हैं:

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  • सोयाबीन तेल डिगम (कांडला): ₹970 प्रति क्विंटल
  • सोयाबीन मील डिलीवरी (इंदौर): ₹13,320 प्रति क्विंटल
  • सोयाबीन तेल मील डिलीवरी (दिल्ली): ₹13,530 प्रति क्विंटल
  • सीपीओ एक्स कांडला: ₹12,970 प्रति क्विंटल
  • पामोलिन आरबीडी (दिल्ली): ₹14,210 प्रति क्विंटल
  • पामोलिन एक्स कांडला: ₹13,330 प्रति क्विंटल

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि विभिन्न प्रकार के खाद्य तेलों में सरसों तेल की कीमत मध्यम श्रेणी में आती है। कुछ तेल, जैसे पामोलिन आरबीडी, सरसों तेल से अधिक महंगे हैं, जबकि कुछ, जैसे सोयाबीन तेल डिगम, अपेक्षाकृत सस्ते हैं।

सरसों तेल का आर्थिक महत्व

सरसों तेल का भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल खाद्य तेल के रूप में महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन से जुड़े उद्योग लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।

सरसों की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में की जाती है। इन राज्यों की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सरसों की फसल महत्वपूर्ण स्थान रखती है। सरसों तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा प्रभाव किसानों की आय पर भी पड़ता है।

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उपभोक्ताओं के लिए सुझाव

वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए, उपभोक्ताओं के लिए कुछ उपयोगी सुझाव हैं:

  1. खरीदारी का समय: वर्तमान में सरसों तेल की कीमतें कम हैं, अत: यह अपने भंडार को पुनः भरने का अच्छा समय है। हालांकि, अत्यधिक मात्रा में खरीद न करें, क्योंकि तेल की गुणवत्ता समय के साथ कम हो सकती है।
  2. गुणवत्ता सुनिश्चित करें: सस्ते तेल की लालच में गुणवत्ता से समझौता न करें। प्रतिष्ठित ब्रांड या विश्वसनीय स्रोतों से ही खरीदारी करें।
  3. स्थानीय बाजार की जानकारी रखें: अलग-अलग क्षेत्रों में कीमतों में अंतर हो सकता है। अपने क्षेत्र में विभिन्न विक्रेताओं के दामों की तुलना करके सर्वोत्तम मूल्य पर खरीदारी करें।
  4. थोक खरीद पर विचार करें: यदि आप बड़े परिवार के लिए खरीदारी कर रहे हैं, तो थोक में खरीदने पर विचार करें, जिससे प्रति इकाई लागत कम हो सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में सरसों तेल की कीमतों में स्थिरता देखने को मिल सकती है। हालांकि, यह सब फसल उत्पादन, अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुझान और सरकारी नीतियों पर निर्भर करेगा।

वैश्विक तेल बाजारों में अनिश्चितता और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए, तेल कीमतों का दीर्घकालिक अनुमान लगाना मुश्किल है। उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे बाजार की गतिविधियों पर नजर रखें और समझदारी से खरीदारी करें।

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8 मार्च 2025 को सरसों तेल की कीमतों में देखी गई गिरावट उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात है। वर्तमान में प्रति लीटर ₹150 से ₹160 के बीच मिल रहा सरसों का तेल अपने उच्चतम स्तर से काफी नीचे है। यह समय उन सभी के लिए अनुकूल है, जो अपने भंडार को पुनः भरना चाहते हैं।

हालांकि, खाद्य तेल बाजार में उतार-चढ़ाव एक नियमित प्रक्रिया है, और कीमतें विभिन्न कारकों से प्रभावित होती रहती हैं। उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे मूल्य और गुणवत्ता का संतुलन बनाए रखें, और समझदारी से खरीदारी करें।

सरसों तेल न केवल भारतीय व्यंजनों का एक अनिवार्य घटक है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी हैं। इसलिए, इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव का प्रभाव केवल बाजार पर ही नहीं, बल्कि जनता के स्वास्थ्य और कल्याण पर भी पड़ता है।

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