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अब सिर्फ लोगों को मिलेगा 450 रुपए में गैस सिलेंडर और फ्री गेहूं – e-KYC of LPG and Ration

e-KYC of LPG and Ration राजस्थान के जालौर जिले में गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की गई है, जिसके तहत उन्हें मात्र 450 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराया जाएगा। यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के अंतर्गत लागू की गई है और इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को महंगाई से राहत देना तथा स्वच्छ ईंधन के उपयोग को प्रोत्साहित करना है।

योजना का परिचय: लाभार्थियों के लिए वरदान

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जालौर जिले में यह नई पहल ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के जरूरतमंद परिवारों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगी। वर्तमान में जहां बाजार में एलपीजी सिलेंडर की कीमत 900-1000 रुपये के आसपास है, वहीं इस योजना के अंतर्गत पात्र परिवारों को यह मात्र 450 रुपये में उपलब्ध होगा।

योजना का उद्देश्य न केवल आर्थिक बोझ को कम करना है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी प्रचलित लकड़ी, उपले और अन्य पारंपरिक ईंधनों के उपयोग को कम करके पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य सुधार में भी योगदान देना है।

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जिला प्रशासन के अनुसार, इस योजना से जालौर जिले के लगभग 2.5 लाख परिवार लाभान्वित होंगे, जिनमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी और शहरी गरीब परिवार शामिल हैं।

पात्रता मानदंड: कौन उठा सकता है लाभ

इस योजना का लाभ लेने के लिए निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए गए हैं:

  1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थी: केवल वे परिवार जो NFSA के अंतर्गत पंजीकृत हैं और जिनके पास वैध राशन कार्ड है।
  2. प्राथमिकता श्रेणी: विशेष रूप से अंत्योदय अन्न योजना (AAY) और प्राथमिकता वाले परिवार (PHH) श्रेणी के राशन कार्ड धारक इस योजना के लिए पात्र हैं।
  3. गैस कनेक्शन: लाभार्थी के पास वैध एलपीजी गैस कनेक्शन होना अनिवार्य है। यदि कोई परिवार अभी तक गैस कनेक्शन से वंचित है, तो प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से उन्हें पहले कनेक्शन प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।
  4. जालौर जिले का निवासी: योजना वर्तमान में केवल जालौर जिले के लिए लागू है, इसलिए लाभार्थी का स्थायी निवास जालौर जिले में होना आवश्यक है।

जालौर जिले के कलेक्टर ने बताया, “यह योजना विशेष रूप से उन परिवारों को ध्यान में रखकर शुरू की गई है, जिन्हें महंगाई के कारण घरेलू खर्च चलाने में कठिनाई हो रही है। हमारा लक्ष्य है कि सभी पात्र परिवारों तक इस योजना का लाभ पहुंचे और उनके जीवन स्तर में सुधार हो।”

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आधार और एलपीजी आईडी की सीडिंग: योजना की रीढ़

इस योजना की सफलता का मूल मंत्र है – आधार और एलपीजी आईडी की राशन कार्ड से सीडिंग। यह प्रक्रिया योजना का अनिवार्य हिस्सा है, जिसके बिना लाभार्थी इस सुविधा का फायदा नहीं उठा सकते।

सीडिंग का महत्व

  1. लक्षित वितरण सुनिश्चित करना: सीडिंग प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि सब्सिडी का लाभ केवल वास्तविक लाभार्थियों तक ही पहुंचे।
  2. दोहरे लाभ से बचाव: एक ही परिवार या व्यक्ति द्वारा एक से अधिक लाभ प्राप्त करने की संभावना को रोकना।
  3. पारदर्शिता बढ़ाना: डिजिटल सत्यापन के माध्यम से वितरण प्रणाली को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना।
  4. भ्रष्टाचार पर अंकुश: बिचौलियों और अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा योजना के दुरुपयोग को रोकना।
  5. डिजिटल प्लेटफॉर्म का निर्माण: भविष्य में अन्य सरकारी योजनाओं के लिए एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करना।

जालौर जिले के रसद विभाग के अधिकारी श्री राजेश मीणा ने बताया, “सीडिंग प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल है और इससे योजना में पारदर्शिता आएगी। हमारा अनुमान है कि इस प्रक्रिया से फर्जी लाभार्थियों की संख्या में कमी आएगी और वास्तविक जरूरतमंद लोगों तक सुविधा पहुंचेगी।”

सीडिंग अभियान: समय और प्रक्रिया

जालौर जिले में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत आधार और एलपीजी आईडी की सीडिंग के लिए 5 नवंबर से 30 नवंबर 2024 तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान सभी पात्र लाभार्थियों को अपने नजदीकी उचित मूल्य दुकान (राशन की दुकान) पर जाकर यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

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सीडिंग प्रक्रिया के चरण

  1. आवश्यक दस्तावेज संग्रह: सीडिंग के लिए परिवार के मुखिया और सभी सदस्यों का आधार कार्ड, एलपीजी कनेक्शन की पुष्टि करने वाले दस्तावेज (गैस बुक, बिल या कस्टमर आईडी) और मोबाइल नंबर की आवश्यकता होगी।
  2. उचित मूल्य दुकान पर जाना: अपने क्षेत्र की राशन दुकान पर जाकर दुकानदार को सभी आवश्यक दस्तावेज दिखाएं और सीडिंग प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध करें।
  3. पॉस मशीन पर सत्यापन: दुकानदार पॉस (Point of Sale) मशीन के माध्यम से आधार नंबर, बायोमेट्रिक सत्यापन (फिंगरप्रिंट या आईरिस स्कैन) और एलपीजी आईडी दर्ज करेगा।
  4. ई-केवाईसी पूरा करना: यदि परिवार के किसी सदस्य की ई-केवाईसी पूरी नहीं हुई है, तो उसे पहले नजदीकी आधार केंद्र पर जाकर यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
  5. सत्यापन और पुष्टिकरण: सभी जानकारियों के सत्यापन के बाद, लाभार्थी को एक पुष्टिकरण संदेश या पर्ची मिलेगी, जिसमें सीडिंग की पुष्टि होगी।
  6. योजना में शामिल होना: सीडिंग पूरी होने के बाद, लाभार्थी को अगले महीने से 450 रुपये में एलपीजी सिलेंडर मिलना शुरू हो जाएगा।

जिला प्रशासन ने सभी उचित मूल्य दुकानों को सीडिंग अभियान के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया है और दुकानों पर अतिरिक्त स्टाफ की व्यवस्था की गई है ताकि लाभार्थियों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।

सामने आने वाली चुनौतियां और समाधान

इस योजना के क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं, जिनके लिए जिला प्रशासन ने पहले से ही समाधान तैयार किए हैं:

1. ई-केवाईसी की समस्या

कई लाभार्थियों की ई-केवाईसी अभी तक पूरी नहीं हुई है, जिससे सीडिंग प्रक्रिया में बाधा आ सकती है।

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समाधान: जिला प्रशासन ने प्रत्येक ग्राम पंचायत और वार्ड स्तर पर विशेष ई-केवाईसी शिविर लगाने की योजना बनाई है, जहां लोग आसानी से अपनी ई-केवाईसी पूरी करा सकेंगे।

2. तकनीकी समस्याएं

ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की समस्या या पॉस मशीन के खराब होने की स्थिति में सीडिंग प्रक्रिया बाधित हो सकती है।

समाधान: प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर तकनीकी टीम तैयार रखी गई है, जो किसी भी तकनीकी समस्या का तत्काल समाधान करेगी। साथ ही, ऑफलाइन सीडिंग की व्यवस्था भी की गई है, जिसे बाद में अपडेट किया जा सकेगा।

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3. जागरूकता की कमी

कई ग्रामीण लाभार्थियों को इस योजना और सीडिंग प्रक्रिया के बारे में जानकारी न होने की संभावना है।

समाधान: जिला प्रशासन द्वारा गांव-गांव जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। स्थानीय भाषा में पम्फलेट बांटे जा रहे हैं और लाउडस्पीकर के माध्यम से सूचनाएं दी जा रही हैं।

योजना के लाभ और प्रभाव

इस योजना से जालौर जिले के नागरिकों को कई महत्वपूर्ण लाभ होंगे:

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1. आर्थिक लाभ

  • मासिक बचत: प्रति सिलेंडर लगभग 500-550 रुपये की बचत होगी, जो सालाना 6000-6600 रुपये की बचत का अवसर प्रदान करेगी।
  • अन्य आवश्यकताओं के लिए साधन: बची हुई राशि का उपयोग परिवार की अन्य जरूरतों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के लिए किया जा सकेगा।
  • आर्थिक सशक्तिकरण: महिलाओं को घरेलू बजट प्रबंधन में मदद मिलेगी और वे अन्य आय सृजन गतिविधियों में भाग ले सकेंगी।

2. स्वास्थ्य लाभ

  • धुएं से मुक्ति: पारंपरिक चूल्हों से होने वाले धुएं से छुटकारा मिलेगा, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियों में कमी आएगी।
  • आंखों के रोगों में कमी: धुएं से होने वाली आंखों की समस्याओं से राहत मिलेगी।
  • बेहतर स्वच्छता: खाना पकाने का माहौल स्वच्छ रहेगा, जिससे संक्रमण के जोखिम में कमी आएगी।

3. पर्यावरणीय लाभ

  • वनों का संरक्षण: लकड़ी के उपयोग में कमी आएगी, जिससे वनों के संरक्षण में मदद मिलेगी।
  • वायु प्रदूषण में कमी: एलपीजी गैस के उपयोग से वायु प्रदूषण में कमी आएगी।
  • कार्बन उत्सर्जन में कटौती: स्वच्छ ईंधन के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।

4. सामाजिक लाभ

  • महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को ईंधन इकट्ठा करने में लगने वाले समय और श्रम से मुक्ति मिलेगी।
  • बच्चों की शिक्षा: माताओं के पास बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देने के लिए अधिक समय होगा।
  • समानता की दिशा में कदम: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सामाजिक-आर्थिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मिलेगा।

योजना के क्रियान्वयन में जिम्मेदार विभाग और अधिकारी

इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए कई विभागों और अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है:

  1. जिला रसद विभाग: सीडिंग अभियान का संचालन और निगरानी।
  2. तेल कंपनियां: एलपीजी सिलेंडर की आपूर्ति और वितरण।
  3. उचित मूल्य दुकान (FPS) संचालक: सीडिंग प्रक्रिया में सहायता और लाभार्थियों का पंजीकरण।
  4. पंचायत और नगरपालिका: स्थानीय स्तर पर समन्वय और जागरूकता फैलाना।
  5. जिला कलेक्टर कार्यालय: समग्र निगरानी और समीक्षा।

जनता से अपील

जालौर जिले के कलेक्टर ने सभी पात्र लाभार्थियों से अपील की है कि वे 5 से 30 नवंबर के बीच अपनी नजदीकी राशन दुकान पर जाकर सीडिंग प्रक्रिया अवश्य पूरी करें। उन्होंने कहा, “यह योजना आपके परिवार के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। इसका लाभ उठाने के लिए समय पर सीडिंग पूरी करना अत्यंत आवश्यक है। किसी भी प्रकार की समस्या के लिए जिला रसद कार्यालय या आपके क्षेत्र के तहसील कार्यालय से संपर्क करें।”

बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

जालौर जिले में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत 450 रुपये में एलपीजी सिलेंडर की सुविधा गरीब और जरूरतमंद परिवारों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना न केवल आर्थिक बोझ को कम करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य सुधार में भी योगदान देगी।

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सरकार का यह प्रयास “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” के मंत्र को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे समाज के हर वर्ग तक विकास के अवसर पहुंचेंगे और एक स्वच्छ, स्वस्थ और समृद्ध समाज का निर्माण होगा।

 

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