EPS 95 Pension Latest Update भारत में आज एक ऐसा वर्ग है जिसने अपनी जवानी देश की सेवा में लगाई, अपने परिवार और समाज के विकास में योगदान दिया, और अब जब उम्र ढल गई है, तो उन्हें मिल रहे हैं मात्र ₹1000 प्रतिमाह। यह कहानी है EPS-95 (एम्प्लॉई पेंशन स्कीम-1995) के तहत पेंशन पाने वाले लाखों बुजुर्गों की, जिन्होंने जीवनभर काम किया और आज गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अप्रैल 2025 में देश भर के अलग-अलग शहरों में EPS-95 पेंशनधारकों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ आवाज उठाई है। नासिक से लेकर चेन्नई तक, हजारों बुजुर्ग सड़कों पर उतरे हैं, और इस अन्याय के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वे अपनी एक सरल मांग के साथ लड़ रहे हैं – न्यूनतम पेंशन ₹9000 प्रतिमाह।
EPS-95 क्या है और कैसे शुरू हुआ?
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) 1995 में तत्कालीन सरकार द्वारा शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना था। इस योजना के तहत, कर्मचारी के वेतन का 8.33% हिस्सा (जो अधिकतम ₹15,000 के वेतन पर गणना की जाती है) पेंशन फंड में जाता है, और सरकार भी 1.16% का योगदान देती है।
सिद्धांत रूप में यह योजना अच्छी थी, लेकिन व्यावहारिक रूप में इसमें कई कमियां हैं। सबसे बड़ी कमी है न्यूनतम पेंशन की राशि, जो 1995 से लेकर 2025 तक, तीन दशकों में भी ₹1000 से अधिक नहीं हुई है। यह राशि आज के समय में जीवन-यापन के लिए बिल्कुल अपर्याप्त है।
EPS-95 पेंशनर्स की वर्तमान स्थिति
राम प्रसाद, 72 वर्षीय एक सेवानिवृत्त कर्मचारी, जो पुणे के एक कारखाने में 32 वर्षों तक काम करते रहे, अब ₹1200 प्रतिमाह पेंशन पर जीवन यापन करने को मजबूर हैं। “मैंने जीवनभर ईमानदारी से काम किया, टैक्स दिया, अपने बच्चों को पढ़ाया। अब जब मुझे आराम की जरूरत है, तब मैं अपनी दवाई तक नहीं खरीद पाता,” राम प्रसाद कहते हैं, उनकी आंखों में निराशा साफ दिखाई देती है।
कमला देवी, 68 वर्षीय एक विधवा, जिनके पति एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे और 2018 में स्वर्ग सिधार गए, अब ₹1000 की पेंशन पर अपना गुजारा करने की कोशिश कर रही हैं। “मेरे पति ने 28 साल काम किया, और आज मुझे इतनी कम पेंशन मिल रही है कि मैं अपना पेट भी नहीं भर पाती। मजबूरी में मैं अपने बेटे पर निर्भर हूं, जिससे मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है,” वे बताती हैं।
ये कहानियां सिर्फ दो उदाहरण हैं। देश भर में ऐसे लाखों पेंशनर्स हैं जो गरीबी रेखा से नीचे का जीवन जी रहे हैं, वो भी इतनी मेहनत करने के बावजूद।
महंगाई का असर और पेंशन की असमानता
पिछले एक दशक में भारत में महंगाई में बेतहाशा वृद्धि हुई है। खाद्य पदार्थों से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं तक, हर चीज महंगी हो गई है। 2015 में जहां 1 किलो दाल ₹70 थी, वहीं 2025 में यह ₹150 से अधिक है। इसी तरह, बिजली, पानी, गैस और किराए में भी कई गुना वृद्धि हुई है।
लेकिन EPS-95 पेंशनर्स की पेंशन में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। इसके विपरीत, सरकारी कर्मचारियों को UPS (यूनिफाइड पेंशन स्कीम) के तहत न्यूनतम ₹10,000 की पेंशन मिलती है और उन्हें नियमित रूप से महंगाई भत्ता भी दिया जाता है।
यह असमानता स्पष्ट है:
- सरकारी कर्मचारी (UPS) – न्यूनतम पेंशन ₹10,000 + महंगाई भत्ता
- निजी क्षेत्र के कर्मचारी (EPS-95) – न्यूनतम पेंशन ₹1,000, कोई महंगाई भत्ता नहीं
EPS-95 पेंशनर्स की मांगें
आंदोलनकारी पेंशनर्स की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
- न्यूनतम पेंशन ₹9,000 प्रतिमाह की जाए – यह मांग वर्तमान महंगाई और जीवन-यापन की लागत को देखते हुए उचित है। ₹9,000 भी वास्तव में एक बुजुर्ग की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है, लेकिन यह मौजूदा ₹1,000 से बेहतर है।
- नियमित महंगाई भत्ता (DA) दिया जाए – जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती है, पेंशन की क्रय शक्ति कम होती जाती है। इसलिए, नियमित रूप से महंगाई भत्ता दिया जाना चाहिए।
- मुफ्त चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं – बुजुर्गों का सबसे बड़ा खर्च स्वास्थ्य सेवाओं पर होता है। अगर उन्हें मुफ्त या सब्सिडी वाली स्वास्थ्य सेवाएं मिलें, तो उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
- सरकारी कल्याण योजनाओं में शामिल किया जाए – EPS-95 पेंशनर्स को सरकार की विभिन्न कल्याण योजनाओं जैसे राशन कार्ड, आयुष्मान योजना आदि में प्राथमिकता से शामिल किया जाए।
सरकार का रुख और विरोध प्रदर्शन
अब तक सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। पिछले वर्ष श्रम मंत्रालय ने न्यूनतम पेंशन को ₹2,000 तक बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इसे वित्तीय बोझ का हवाला देते हुए खारिज कर दिया।
इस बार, मार्च 2025 में शुरू हुए प्रदर्शन अब तक के सबसे बड़े और व्यापक हैं। नासिक में, हजारों पेंशनर्स EPFO (एम्प्लॉईज प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन) के कार्यालय के बाहर धरना दे रहे हैं। चेन्नई में, पेंशनर्स एसोसिएशन ने केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया से मुलाकात की और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।
दिल्ली में भी, जंतर-मंतर पर लगातार धरना जारी है, जहां देश भर से आए पेंशनर्स अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। इनमें से कई बुजुर्ग अपनी उम्र और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बावजूद प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है।
क्या होगा अगर मांगें पूरी हुईं?
अगर सरकार न्यूनतम पेंशन ₹9,000 करने की मांग मान लेती है, तो इसका लगभग 80 लाख EPS-95 पेंशनर्स पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वे अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर पाएंगे, अपने स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल कर पाएंगे, और सम्मानजनक जीवन जी पाएंगे।
इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, जिससे वे दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय स्वावलंबी बन पाएंगे। साथ ही, इससे बुजुर्गों के प्रति समाज का दृष्टिकोण भी बदलेगा और उन्हें सम्मान मिलेगा जिसके वे हकदार हैं।
हालांकि, इसके लिए सरकार को EPFO के फंड में अधिक योगदान देना होगा, और संभवतः नियोक्ताओं को भी अपना योगदान बढ़ाना पड़ सकता है। लेकिन यह निवेश भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा, क्योंकि यह लाखों बुजुर्गों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगा।
क्या होगा आगे?
EPS-95 पेंशनर्स का संघर्ष जारी है, और वे हार मानने वाले नहीं हैं। उनकी एकजुटता और दृढ़ संकल्प से लगता है कि वे अपनी मांगों को लेकर गंभीर हैं।
सरकार के सामने अब दो विकल्प हैं – या तो वह इन मांगों को गंभीरता से ले और समाधान निकाले, या फिर इन लाखों बुजुर्गों के गुस्से का सामना करे। देखना यह है कि क्या सरकार अपने वादे “सबका साथ, सबका विकास” को याद रखती है और इन पेंशनर्स के साथ न्याय करती है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि EPS-95 पेंशनर्स की मांग कोई भीख नहीं, बल्कि उनका हक है। वे वही मांग रहे हैं जो उन्होंने जीवनभर काम करके कमाया है – एक सम्मानजनक और स्वाभिमानी जीवन जीने का अधिकार।
अगर भारत को सच में एक विकसित राष्ट्र बनना है, तो हमें अपने बुजुर्गों का सम्मान करना होगा और उन्हें वह सम्मान और सुरक्षा देनी होगी जिसके वे हकदार हैं।
क्या आप जानते हैं?
- भारत में लगभग 80 लाख EPS-95 पेंशनर्स हैं।
- EPFO के पास 2025 तक लगभग ₹18 लाख करोड़ का कॉर्पस है।
- सरकारी कर्मचारियों की पेंशन EPS-95 पेंशनर्स से 10 गुना अधिक है।
- कई पेंशनर्स EPS-95 की मांगों के लिए पिछले 10 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं।
EPS-95 पेंशनर्स का संघर्ष सिर्फ पैसों का नहीं, बल्कि सम्मान और न्याय का है। यह समय है कि हम सब उनके साथ खड़े हों और उनकी आवाज को बुलंद करें।