retirement of government पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया और विभिन्न समाचार माध्यमों में केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाने की अटकलें लगाई जा रही थीं। इन अफवाहों में कहा जा रहा था कि सरकार वर्तमान 60 वर्ष की सीमा को बढ़ाकर 62 या यहां तक कि 65 वर्ष करने पर विचार कर रही है। हालांकि, हाल ही में संसद में इस विषय पर स्पष्टीकरण आया है जो इन सभी अटकलों पर विराम लगाता है।
केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने संसद में एक प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट किया है कि “सरकार के पास फिलहाल रिटायरमेंट एज में बदलाव का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।” यह बयान उन सभी अटकलों और अनुमानों को खारिज करता है जिनमें सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि की बात कही जा रही थी।
विभिन्न राज्यों में सेवानिवृत्ति आयु की भिन्नता
भारत में राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु अलग-अलग है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए यह 60 वर्ष है, जबकि विभिन्न राज्यों में यह 58 से 62 वर्ष तक भिन्न हो सकती है। इस विषय पर संसद में पूछे गए प्रश्न पर सरकार ने कहा कि “सेवानिवृत्ति की उम्र तय करना राज्य सरकारों का अधिकार क्षेत्र है। केंद्र इस पर कोई हस्तक्षेप नहीं करता और न ही कोई डेटा रखता है।”
इसका अर्थ है कि संघीय व्यवस्था के अनुसार राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं, और केंद्र सरकार इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करती।
रिक्त पदों के विषय में सरकार का रुख
एक अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न जो संसद में उठा था, वह यह था कि क्या सरकार सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के रिक्त पदों को समाप्त करने की योजना बना रही है। इस मुद्दे पर भी सरकार का जवाब स्पष्ट था। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “ऐसा कोई नीति निर्णय नहीं है, जिससे रिटायरमेंट के बाद पदों को खत्म किया जाए।”
हालांकि, जब यह प्रश्न उठाया गया कि 2014 से अब तक कितने पद हटाए गए हैं, तो मंत्री ने कहा कि इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा सरकार के पास उपलब्ध नहीं है। यह स्थिति दर्शाती है कि सरकार के पास पदों के सृजन और समाप्ति के संबंध में एक समेकित डेटाबेस की कमी है।
कर्मचारी संगठनों की मांगें और सरकार का प्रतिसाद
वर्षों से विभिन्न कर्मचारी संगठन सेवानिवृत्ति आयु में परिवर्तन की मांग करते रहे हैं। कुछ संगठन इस उम्र को बढ़ाने की वकालत करते हैं, जबकि अन्य इसे वर्तमान स्तर पर या यहां तक कि कम करने के पक्ष में हैं। हालांकि, सरकार का कहना है कि “अब तक ‘राष्ट्रीय परिषद (संयुक्त परामर्श तंत्र)’ से इस विषय पर कोई औपचारिक प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है।”
यह दिलचस्प है कि हालांकि अनौपचारिक रूप से यह मुद्दा अक्सर उठाया जाता है, लेकिन अब तक किसी भी प्रमुख कर्मचारी यूनियन ने औपचारिक रूप से इस प्रस्ताव को सरकार के समक्ष नहीं रखा है। यह स्थिति इस विषय पर कर्मचारी संगठनों के बीच भी मतभेद की ओर इशारा करती है।
वर्तमान में सेवानिवृत्ति आयु सीमा
केंद्र सरकार के अधिकांश विभागों और मंत्रालयों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष निर्धारित है। यह नियम लगभग सभी ग्रुप A, B और C कर्मचारियों पर लागू होता है। हालांकि, कुछ विशेष श्रेणियों जैसे वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रोफेसरों के लिए अलग सेवानिवृत्ति आयु हो सकती है।
सामान्य सरकारी कर्मचारियों के लिए 60 वर्ष की आयु अंतिम सीमा बनी हुई है और वर्तमान में इसमें कोई परिवर्तन करने का प्रस्ताव नहीं है।
सेवानिवृत्ति आयु में बदलाव की चर्चा के कारण
पिछले कुछ वर्षों में सेवानिवृत्ति आयु में बदलाव की चर्चा कई कारणों से तेज हुई थी:
- कोविड-19 महामारी का प्रभाव: महामारी के दौरान और उसके बाद सरकारी खर्च में कटौती के प्रयासों के कारण यह चर्चा उभरी कि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर पेंशन पर होने वाले खर्च को कम किया जा सकता है।
- बढ़ती जीवन प्रत्याशा: भारत में औसत जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के कारण लोग अधिक समय तक सक्रिय और कार्यशील रहते हैं, जिससे सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि का समर्थन मिला।
- अनुभवी कर्मचारियों की आवश्यकता: कई महत्वपूर्ण विभागों में अनुभवी कर्मचारियों की कमी के कारण यह विचार सामने आया कि अनुभवी कर्मियों की सेवाएं कुछ और वर्षों तक ली जाएं।
- रिक्त पदों की बढ़ती संख्या: केंद्र और राज्य सरकारों में रिक्त पदों की बढ़ती संख्या ने भी इस चर्चा को हवा दी कि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर इस समस्या से अस्थायी रूप से निपटा जा सकता है।
- जनसांख्यिकीय परिवर्तन: भारत की बदलती जनसांख्यिकी और बुजुर्ग आबादी में वृद्धि के कारण भी सेवानिवृत्ति पर पुनर्विचार की आवश्यकता महसूस की गई।
अन्य देशों में सेवानिवृत्ति आयु की तुलना
विश्व के विभिन्न देशों में सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु अलग-अलग है। कई विकसित देशों में यह 65 या 67 वर्ष तक है, जबकि कुछ देशों में यह 70 वर्ष तक भी पहुंच गई है। जापान जैसे देशों में, जहां जनसंख्या वृद्धि और श्रम शक्ति की कमी एक गंभीर समस्या है, सरकार ने सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
भारत की तुलना में, कई पश्चिमी देशों में सेवानिवृत्ति आयु अधिक है, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक देश की अपनी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियां और जनसांख्यिकीय चुनौतियां हैं।
हालांकि वर्तमान में सरकार के पास सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है, लेकिन भविष्य में इस विषय पर पुनर्विचार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। निम्नलिखित कारक इस निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं:
- आर्थिक स्थिति: देश की आर्थिक स्थिति और पेंशन पर होने वाले वित्तीय बोझ का प्रभाव।
- रोजगार बाजार की स्थिति: युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों और बेरोजगारी दर का प्रभाव।
- कर्मचारी संगठनों की मांगें: भविष्य में कर्मचारी संगठनों द्वारा औपचारिक प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने की संभावना।
- जनसांख्यिकीय परिवर्तन: बुजुर्ग आबादी में वृद्धि और जन्म दर में कमी का प्रभाव।
- सार्वजनिक नीति प्राथमिकताएं: सरकार की वरिष्ठ नागरिकों और सामाजिक सुरक्षा के प्रति नीतिगत दृष्टिकोण।
वर्तमान में, केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष ही बनी रहेगी, क्योंकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि इसमें परिवर्तन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों पर फैली अफवाहें निराधार साबित हुई हैं।
हालांकि, भविष्य में बदलती आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार इस नीति पर पुनर्विचार हो सकता है। सरकार को संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा जो युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों और अनुभवी कर्मचारियों की सेवाओं का लाभ उठाने के बीच संतुलन स्थापित करे।
कर्मचारी संगठनों और सरकार के बीच इस विषय पर खुली और पारदर्शी चर्चा आवश्यक है, ताकि एक ऐसी नीति तैयार की जा सके जो सभी हितधारकों के हितों का संरक्षण करे और देश के समग्र विकास में योगदान दे।