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राशन कार्ड धारकों के लिए बड़ी अपडेट, अभी करें ये काम वरना नहीं मिलेगा राशन Big update for ration card holders

Big update for ration card holders देश भर के राशन कार्ड धारकों के लिए एक महत्वपूर्ण अलर्ट जारी किया गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से सरकार ने राशन कार्ड धारकों के लिए ई-केवाईसी (इलेक्ट्रॉनिक-नो योर कस्टमर) प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया है।

इस प्रक्रिया की अंतिम तिथि 30 अप्रैल 2025 निर्धारित की गई है, जिसमें अब केवल कुछ ही दिन शेष हैं। जो लाभार्थी इस समय सीमा के भीतर अपना ई-केवाईसी पूरा नहीं करवाएंगे, उनका नाम राशन कार्ड से हटा दिया जाएगा और वे सरकारी राशन के लाभों से वंचित हो जाएंगे।

सरकार का यह कदम फर्जी राशन कार्ड धारकों की पहचान कर उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ से बाहर करने के उद्देश्य से उठाया गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से दी जाने वाली सब्सिडी का लाभ केवल वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करना इस कदम का मुख्य उद्देश्य है।

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ई-केवाईसी की वर्तमान स्थिति

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में कुल 2,63,74,332 राशन कार्ड धारक सदस्य हैं, जिनमें से अभी भी 72,18,818 सदस्यों का ई-केवाईसी पूरा नहीं हुआ है। यह एक चिंताजनक आंकड़ा है, क्योंकि अंतिम तिथि में अब केवल पांच दिन ही शेष हैं। इससे पहले सरकार छह बार समय सीमा बढ़ा चुकी है, लेकिन इस बार सरकार ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि और समय नहीं दिया जाएगा।

राशन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमने पर्याप्त समय और अवसर प्रदान किए हैं। अब इस समय सीमा को आगे बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है। जो लाभार्थी 30 अप्रैल तक अपना ई-केवाईसी पूरा नहीं करवाएंगे, उनका नाम राशन कार्ड से हटा दिया जाएगा और 1 मई से वे राशन के लाभ से वंचित हो जाएंगे।”

ई-केवाईसी की प्रक्रिया का महत्व

ई-केवाईसी प्रक्रिया राशन कार्ड धारकों की डिजिटल पहचान स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, सरकार राशन कार्ड धारकों के आधार कार्ड, बैंक खाते और अन्य व्यक्तिगत विवरणों को सत्यापित करती है। इससे फर्जी राशन कार्डों की पहचान करना आसान हो जाता है और सरकारी सब्सिडी का लाभ केवल वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचता है।

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केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत पात्र लाभार्थियों की पहचान के लिए ई-केवाईसी को अनिवार्य किया है। इस प्रक्रिया से न केवल फर्जी लाभार्थियों पर अंकुश लगेगा, बल्कि यह सुनिश्चित होगा कि सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तव में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे।

एक अनुमान के अनुसार, देश भर में 10-15 प्रतिशत राशन कार्ड फर्जी या दोहरे नाम वाले हो सकते हैं। ई-केवाईसी प्रक्रिया से इन फर्जी कार्डों की पहचान होगी और सरकारी खजाने पर पड़ने वाले अनावश्यक बोझ को कम किया जा सकेगा।

डीलरों की समस्याएं और प्रभाव

इस प्रक्रिया को सफल बनाने में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के डीलरों की भूमिका महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार ने शत-प्रतिशत ई-केवाईसी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी इन्हीं डीलरों को सौंपी है। हालांकि, इन डीलरों के सामने भी कई चुनौतियां हैं।

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राज्य के 25 हजार से अधिक पीडीएस डीलरों को पिछले छह महीनों से कमीशन राशि का भुगतान नहीं हुआ है। सरकार पर डीलरों का लगभग 25 करोड़ रुपये का बकाया है। नवंबर 2024 से लेकर अप्रैल 2025 तक की कमीशन राशि अभी लंबित है, जिससे डीलरों में नाराजगी बढ़ रही है।

फेयर प्राइस शॉप डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा, “हम ई-केवाईसी प्रक्रिया का समर्थन करते हैं, लेकिन हमारी समस्याओं को भी सुना जाना चाहिए। हमें छह महीनों से कमीशन नहीं मिला है, जबकि हमारे पास ई-केवाईसी के लिए आवश्यक उपकरण और संसाधन जुटाने का दबाव है।”

इसी मुद्दे को लेकर फेयर प्राइस शॉप डीलर्स एसोसिएशन ने 27 अप्रैल को रामगढ़ में एक अहम बैठक बुलाने का फैसला किया है। इस बैठक में डीलर कमीशन भुगतान और ई-केवाईसी प्रक्रिया से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।

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लाभार्थियों के सामने चुनौतियां

ई-केवाईसी प्रक्रिया में अनेक लाभार्थियों को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लाभार्थियों के लिए यह प्रक्रिया विशेष रूप से कठिन है।

कई लाभार्थियों के पास आधार कार्ड या बैंक खाते जैसे आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं। कुछ लाभार्थियों के आधार कार्ड में फिंगरप्रिंट मिसमैच की समस्या है, जबकि कुछ के पास मोबाइल नंबर अपडेट नहीं है।

ग्रामीण क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी की समझ का अभाव भी एक बड़ी चुनौती है। बुजुर्ग और निरक्षर लाभार्थियों को डिजिटल प्रक्रिया को समझने में कठिनाई होती है। इसके अलावा, कई क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या भी है, जिससे ऑनलाइन प्रक्रिया में बाधा आती है।

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रामपुर गांव के एक लाभार्थी रामलाल ने बताया, “मैं तीन बार राशन दुकान पर ई-केवाईसी के लिए गया, लेकिन हर बार सिस्टम में कोई न कोई समस्या आ जाती है। कभी सर्वर डाउन होता है, तो कभी फिंगरप्रिंट मैच नहीं होता। अब समय सीमा भी खत्म हो रही है, मुझे डर है कि मेरा नाम कट जाएगा।”

सरकारी प्रयास और विशेष अभियान

राशन कार्ड धारकों के ई-केवाईसी को पूरा करने के लिए सरकार ने विशेष अभियान शुरू किया है। राज्य के सभी जिलों में विशेष शिविर लगाए जा रहे हैं, जहां लाभार्थी अपना ई-केवाईसी करवा सकते हैं।

खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राज्य में 5,000 से अधिक पंचायत स्तर पर विशेष शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इन शिविरों में लाभार्थियों को ई-केवाईसी प्रक्रिया में होने वाली समस्याओं का समाधान भी किया जा रहा है।

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विभाग ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है, जिस पर लाभार्थी अपनी समस्याओं के बारे में जानकारी दे सकते हैं। साथ ही, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए घर-घर जाकर ई-केवाईसी करने की व्यवस्था भी की गई है।

विभाग के प्रवक्ता ने बताया, “हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि अधिक से अधिक लाभार्थी ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी कर सकें। हमारी टीमें दिन-रात काम कर रही हैं। लेकिन लाभार्थियों को भी आगे आना होगा और अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।”

ई-केवाईसी के लाभ और दीर्घकालिक प्रभाव

ई-केवाईसी प्रक्रिया के कई लाभ हैं, जो दीर्घकालिक रूप से सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करेंगे। इससे फर्जी राशन कार्डों पर अंकुश लगेगा और वास्तविक लाभार्थियों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचेगा।

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डिजिटल सत्यापन से भ्रष्टाचार और राशन की कालाबाजारी पर भी रोक लगेगी। ई-केवाईसी के बाद, लाभार्थियों को राशन लेने के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन की आवश्यकता होगी, जिससे फर्जी दावों पर रोक लगेगी।

इसके अलावा, ई-केवाईसी प्रक्रिया से राशन कार्ड डेटाबेस का निरंतर अपडेशन होगा। इससे मृत व्यक्तियों के नाम, दोहरे नाम और अन्य गलत प्रविष्टियां सिस्टम से हट जाएंगी।

एक अनुमान के अनुसार, इस प्रक्रिया से राज्य को प्रति वर्ष लगभग 1,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है, जो अब तक फर्जी राशन कार्डों पर खर्च हो रहे थे। इस बचत का उपयोग अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर किया जा सकेगा।

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लाभार्थियों के लिए महत्वपूर्ण निर्देश

समय सीमा के अंतिम दिनों में, लाभार्थियों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. आवश्यक दस्तावेज: ई-केवाईसी के लिए आधार कार्ड, बैंक पासबुक, मोबाइल नंबर और राशन कार्ड की मूल प्रति साथ लेकर जाएं।
  2. निकटतम केंद्र का पता करें: अपने निकटतम ई-केवाईसी केंद्र या राशन दुकान का पता करें। विशेष शिविरों की जानकारी स्थानीय पंचायत या नगर निगम कार्यालय से प्राप्त करें।
  3. समय पर पहुंचें: अंतिम दिनों में भीड़ बढ़ने की संभावना है, इसलिए सुबह जल्दी पहुंचें ताकि प्रक्रिया समय पर पूरी हो सके।
  4. हेल्पलाइन का उपयोग करें: किसी भी समस्या के लिए सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।
  5. पूरे परिवार का विवरण लेकर जाएं: राशन कार्ड में दर्ज सभी सदस्यों का ई-केवाईसी अनिवार्य है, इसलिए सभी का विवरण साथ लेकर जाएं।

विशेषज्ञों के सुझाव और भविष्य की राह

खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ई-केवाईसी प्रक्रिया सार्वजनिक वितरण प्रणाली को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ सुधारों की आवश्यकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार को तकनीकी बाधाओं को दूर करने के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहतर होनी चाहिए और आधार सत्यापन की वैकल्पिक विधियां भी उपलब्ध होनी चाहिए।

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इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों और अन्य कमजोर वर्गों के लिए विशेष प्रावधान होने चाहिए। उनके लिए ई-केवाईसी की प्रक्रिया सरल और सुगम होनी चाहिए।

एक प्रमुख खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञ का कहना है, “ई-केवाईसी एक आवश्यक कदम है, लेकिन इसे अधिक समावेशी बनाया जाना चाहिए। कोई भी वास्तविक लाभार्थी केवल तकनीकी बाधाओं के कारण लाभ से वंचित न रहे, यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।”

राशन कार्ड धारकों के लिए ई-केवाईसी की अंतिम तिथि 30 अप्रैल निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण समय सीमा है। यह प्रक्रिया सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने और फर्जी लाभार्थियों को हटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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हालांकि, इस प्रक्रिया में कई चुनौतियां भी हैं, जिनका समाधान आवश्यक है। सरकार, डीलर और लाभार्थी – सभी को मिलकर इन चुनौतियों का सामना करना होगा ताकि कोई भी वास्तविक लाभार्थी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित न रहे।

अंतिम दिनों में, लाभार्थियों को तत्परता दिखानी होगी और अपना ई-केवाईसी पूरा करवाना होगा। साथ ही, सरकार को भी सुनिश्चित करना होगा कि प्रक्रिया सुचारू रूप से चले और तकनीकी बाधाओं का त्वरित समाधान हो।

यह प्रक्रिया अल्पकालीन असुविधा के बावजूद, दीर्घकालिक रूप से सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि सरकारी सब्सिडी का लाभ केवल वास्तविक जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे।

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