DA Hike in March केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए इस बार होली का त्योहार उतना खुशनुमा नहीं होने वाला जितनी उम्मीद की जा रही थी। आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, जनवरी 2025 से लागू होने वाले महंगाई भत्ते (डीए) में इस बार बहुत कम वृद्धि होने की संभावना है, जो पिछले सात वर्षों में सबसे कम हो सकती है। यह खबर निश्चित रूप से सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका साबित होगी, जो बढ़ती महंगाई के बीच अपनी आय में अच्छी-खासी वृद्धि की उम्मीद कर रहे थे।
डीए वृद्धि का निर्णय कब होगा?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आज होने वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महंगाई भत्ते में वृद्धि पर निर्णय लिया जा सकता है। परंपरागत रूप से, सरकार हर साल जनवरी में लागू होने वाले डीए में बढ़ोतरी की घोषणा मार्च महीने में होली के आसपास करती आई है। पिछले वर्ष भी, सरकार ने 7 मार्च को डीए वृद्धि की घोषणा की थी। इस वर्ष भी इसी समय सीमा के अंदर घोषणा की उम्मीद है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार की वृद्धि कर्मचारियों को निराश कर सकती है।
महंगाई भत्ते का निर्धारण कैसे होता है?
महंगाई भत्ते में वृद्धि का निर्धारण अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI) के आधार पर किया जाता है। यह सूचकांक देश भर में विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में होने वाले बदलावों को मापता है। सरकार पिछले छह महीनों के AICPI इंडेक्स और बढ़ती महंगाई के आंकड़ों का विश्लेषण करके डीए में संशोधन का निर्णय लेती है।
इस प्रक्रिया में, श्रम मंत्रालय द्वारा जारी किए गए औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) को आधार बनाया जाता है। यह सूचकांक देश के विभिन्न हिस्सों में श्रमिक परिवारों द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन को दर्शाता है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, सरकार इस सूचकांक के आधार पर हर छह महीने में डीए की समीक्षा करती है।
इस बार क्यों हो रही है कम वृद्धि?
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, इस बार महंगाई भत्ते में मात्र 2% की वृद्धि होने की संभावना है। यह पिछले सात वर्षों में सबसे कम वृद्धि होगी। जुलाई 2018 से अब तक सरकार हर बार डीए में कम से कम 3% या 4% की बढ़ोतरी करती रही है।
यह कम वृद्धि मुख्य रूप से पिछले कुछ महीनों में AICPI सूचकांक में आई स्थिरता के कारण हो सकती है। हालांकि महंगाई दर में वृद्धि जारी है, लेकिन इसकी गति पिछले वर्षों की तुलना में कुछ धीमी रही है। इसके अलावा, वैश्विक आर्थिक स्थिति और सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं ने भी इस निर्णय को प्रभावित किया होगा।
वर्तमान डीए दर और प्रस्तावित वृद्धि
वर्तमान में, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को उनकी मूल वेतन का 53% महंगाई भत्ता मिल रहा है। पिछले वर्ष अक्टूबर महीने में सरकार ने डीए में 3% की वृद्धि की थी, जिससे यह दर 50% से बढ़कर 53% हो गई थी। यदि इस बार 2% की वृद्धि होती है, तो यह दर बढ़कर 55% हो जाएगी।
यह वृद्धि जनवरी 2025 से लागू होगी और कर्मचारियों को मार्च या अप्रैल के वेतन के साथ जनवरी और फरवरी के बकाया सहित भुगतान किया जाएगा। हालांकि, अंतिम निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद ही स्पष्ट होगा।
कोरोना काल में डीए पर रोक
कोविड-19 महामारी के दौरान, केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में डीए बढ़ोतरी पर 18 महीनों तक रोक लगा दी थी। उस समय कर्मचारियों को डीए वृद्धि से वंचित रखा गया था, जिससे उनमें काफी असंतोष पैदा हुआ था। सरकार ने तब यह कदम वित्तीय संकट और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दबाव को कम करने के लिए उठाया था।
जुलाई 2021 से, सरकार ने फिर से नियमित रूप से डीए में वृद्धि करना शुरू कर दिया था। हालांकि, उस दौरान रुके हुए महंगाई भत्ते का बकाया कर्मचारियों को नहीं मिला था, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ था।
डीए वृद्धि का वेतन पर प्रभाव
महंगाई भत्ते में वृद्धि का सीधा असर कर्मचारियों के वेतन पर पड़ता है। यदि सरकार इस बार डीए में 2% की वृद्धि करती है, तो विभिन्न वेतन श्रेणियों के कर्मचारियों को निम्नलिखित लाभ मिलेंगे:
बेसिक सैलरी | अभी का DA (53%) | नया DA (55%) | कुल बढ़ोतरी |
---|---|---|---|
₹18,000 | ₹9,540 | ₹9,900 | ₹360 |
₹31,550 | ₹16,721.50 | ₹17,352.50 | ₹631 |
₹44,900 | ₹23,797 | ₹24,695 | ₹898 |
इस प्रकार, न्यूनतम वेतन पाने वाले कर्मचारी की मासिक आय में केवल ₹360 की वृद्धि होगी, जबकि उच्च वेतन पाने वाले कर्मचारियों को अधिकतम ₹898 प्रति माह का लाभ मिलेगा। यह वृद्धि वार्षिक रूप से ₹4,320 से ₹10,776 तक होगी, जो कई कर्मचारियों की अपेक्षाओं से काफी कम है।
पेंशनभोगियों पर प्रभाव
महंगाई भत्ते में वृद्धि का प्रभाव पेंशनभोगियों पर भी पड़ेगा। वर्तमान में, पेंशनर्स को भी 53% की दर से महंगाई राहत (डीआर) मिल रही है। यदि यह दर बढ़कर 55% हो जाती है, तो उनकी मासिक पेंशन में भी वृद्धि होगी। हालांकि, यह वृद्धि भी उनकी अपेक्षाओं से कम होगी।
कर्मचारियों में असंतोष
इस कम वृद्धि से केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में निराशा और असंतोष पैदा होने की संभावना है। बढ़ती महंगाई के बीच, कर्मचारी अपने वेतन में अच्छी-खासी वृद्धि की उम्मीद कर रहे थे, ताकि वे अपने परिवार की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सकें।
विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने पहले ही इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है और सरकार से कम से कम 4% की वृद्धि करने का आग्रह किया है। उनका मानना है कि 2% की वृद्धि वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों में पर्याप्त नहीं है और इससे कर्मचारियों को अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने में कठिनाई होगी।
सरकार का पक्ष
सरकार के सूत्रों के अनुसार, डीए वृद्धि का निर्णय पूरी तरह से AICPI सूचकांक पर आधारित है और इसमें किसी प्रकार की मनमानी नहीं है। सरकार का मानना है कि महंगाई भत्ते की गणना एक निर्धारित सूत्र के आधार पर की जाती है, जिसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
इसके अलावा, सरकार के सामने अन्य प्राथमिकताएं भी हैं, जैसे बुनियादी ढांचे का विकास, सामाजिक कल्याण योजनाएं और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना। इन प्राथमिकताओं के बीच, सरकार को अपने वित्तीय संसाधनों का उचित प्रबंधन करना पड़ता है।
यद्यपि इस बार डीए वृद्धि कम होने की संभावना है, लेकिन भविष्य में स्थिति में सुधार की उम्मीद है। यदि अगले छह महीनों में AICPI सूचकांक में उल्लेखनीय वृद्धि होती है, तो जुलाई 2025 में डीए में अच्छी वृद्धि की संभावना बन सकती है।
इसके अलावा, सरकार से यह भी अपेक्षा की जा रही है कि वह अपने कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए अन्य प्रकार की वित्तीय सहायता या लाभ प्रदान करने पर विचार करे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
संक्षेप में, इस बार महंगाई भत्ते में केवल 2% की वृद्धि होने की संभावना है, जो पिछले सात वर्षों में सबसे कम है। यह निश्चित रूप से केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए निराशाजनक होगा, जो बढ़ती महंगाई के बीच अपनी आय में अच्छी वृद्धि की उम्मीद कर रहे थे।
हालांकि, अंतिम निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद ही स्पष्ट होगा। कर्मचारियों को उम्मीद है कि सरकार उनके हितों को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर पुनर्विचार करेगी और डीए में अधिक वृद्धि करने का निर्णय लेगी। अगर ऐसा नहीं होता है, तो यह लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा, जिससे उनमें असंतोष और निराशा पैदा होगी।