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रिटायरमेंट पर 25 हजार सैलरी वालों को मिलेंगे 69.87 लाख रुपये, जानें पूरा कैलकुलेशन EPF Calculation

EPF Calculation वर्तमान युग में वित्तीय सुरक्षा की चिंता हर कामकाजी व्यक्ति के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई है। रिटायरमेंट के बाद के जीवन को आर्थिक रूप से सुरक्षित बनाने के लिए, भारत सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें से एक है – कर्मचारी भविष्य निधि (Employees’ Provident Fund – EPF)। यह योजना संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने का एक प्रमुख माध्यम है। आइए जानते हैं कि EPF क्या है, इसकी गणना कैसे होती है, और यह रिटायरमेंट प्लानिंग में कितना महत्वपूर्ण है।

EPF क्या है?

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) एक सामाजिक सुरक्षा योजना है, जिसे भारत सरकार द्वारा 1952 में शुरू किया गया था। यह योजना कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई थी। EPF में, कर्मचारी और नियोक्ता दोनों अपना योगदान देते हैं, जिससे कर्मचारी के भविष्य के लिए एक सुरक्षित फंड तैयार होता है।

EPF में योगदान की प्रक्रिया

EPF योजना में योगदान का निर्धारण कर्मचारी के मूल वेतन (बेसिक सैलरी) और महंगाई भत्ते (DA) के आधार पर किया जाता है। वर्तमान नियमों के अनुसार, कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को इस राशि का 12% योगदान देना होता है। यहां जानें कि यह योगदान कैसे विभाजित होता है:

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कर्मचारी का योगदान:

  • कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12% EPF खाते में जमा करता है।
  • यह पूरी राशि EPF खाते में जाती है।

नियोक्ता का योगदान:

  • नियोक्ता भी कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12% देता है।
  • इस 12% में से 3.67% EPF खाते में जाता है।
  • शेष 8.33% राशि कर्मचारी पेंशन योजना (Employees’ Pension Scheme – EPS) में जमा होती है।

यह ध्यान देने योग्य है कि EPF में योगदान की अधिकतम सीमा ₹15,000 तक की मूल वेतन पर अनिवार्य है। हालांकि, अगर किसी कर्मचारी का वेतन इससे अधिक है, तो वह और उसका नियोक्ता इससे अधिक राशि पर भी योगदान दे सकते हैं, लेकिन यह स्वैच्छिक होता है।

EPF की गणना: एक उदाहरण

आइए एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं कि EPF फंड की गणना कैसे होती है। मान लीजिए कि एक कर्मचारी की मूल वेतन और महंगाई भत्ता मिलाकर ₹25,000 प्रति माह है।

मासिक योगदान की गणना:

  • कर्मचारी का योगदान: ₹25,000 का 12% = ₹3,000 प्रति माह
  • नियोक्ता का EPF में योगदान: ₹25,000 का 3.67% = ₹917 प्रति माह
  • नियोक्ता का EPS में योगदान: ₹25,000 का 8.33% = ₹2,083 प्रति माह (अधिकतम ₹15,000 तक सीमित)

वार्षिक योगदान की गणना:

  • कर्मचारी का वार्षिक योगदान: ₹3,000 × 12 = ₹36,000
  • नियोक्ता का EPF में वार्षिक योगदान: ₹917 × 12 = ₹11,004
  • नियोक्ता का EPS में वार्षिक योगदान: ₹2,083 × 12 = ₹24,996 (अधिकतम ₹15,000 तक सीमित)

EPF पर ब्याज दर

EPF पर मिलने वाली ब्याज दर हर साल सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए EPF पर ब्याज दर 8.1% है। यह ब्याज दर अन्य सुरक्षित निवेश विकल्पों की तुलना में अधिक है, जो EPF को एक आकर्षक रिटायरमेंट निवेश बनाता है।

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ब्याज की गणना मासिक रनिंग बैलेंस के आधार पर की जाती है, और इसे वित्तीय वर्ष के अंत में खाते में जोड़ा जाता है। ब्याज की गणना का सूत्र है:

मासिक ब्याज = मासिक रनिंग बैलेंस × ब्याज दर ÷ 1200

दीर्घकालिक निवेश का प्रभाव: 28 वर्षों में कितना होगा फंड?

अब देखते हैं कि अगर कोई कर्मचारी 30 वर्ष की आयु से 58 वर्ष तक (यानी 28 वर्षों तक) EPF में निवेश करता है, तो उसके पास कितना फंड जमा हो सकता है। इस गणना में, हम मानेंगे कि:

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  • प्रारंभिक मूल वेतन + DA: ₹25,000 प्रति माह
  • वार्षिक वेतन वृद्धि: 10%
  • EPF पर ब्याज दर: 8.1% प्रति वर्ष (स्थिर)

इन मान्यताओं के आधार पर, 58 वर्ष की आयु में कर्मचारी के पास लगभग ₹1.68 करोड़ का EPF फंड हो सकता है। इसका विवरण निम्नलिखित है:

  • कर्मचारी का कुल योगदान: लगभग ₹50.51 लाख
  • नियोक्ता का EPF में कुल योगदान: लगभग ₹16.36 लाख
  • कुल प्रत्यक्ष योगदान: लगभग ₹69.87 लाख
  • ब्याज से अर्जित राशि: लगभग ₹98.13 लाख
  • कुल परिपक्वता राशि: लगभग ₹1.68 करोड़

यह उदाहरण दिखाता है कि EPF में नियमित योगदान और कंपाउंडिंग का प्रभाव कैसे छोटी-छोटी बचत को बड़े फंड में बदल सकता है।

EPF के प्रमुख लाभ

EPF केवल एक बचत योजना नहीं है, बल्कि इसके कई अन्य लाभ भी हैं:

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  1. सुरक्षित निवेश: EPF सरकार द्वारा संचालित है, इसलिए यह एक सुरक्षित निवेश विकल्प है।
  2. कर लाभ: EPF में जमा राशि और इस पर मिलने वाला ब्याज, दोनों कर-मुक्त हैं (कुछ शर्तों के साथ)।
  3. आपातकालीन निकासी: वित्तीय संकट के समय, आप अपने EPF खाते से आंशिक निकासी कर सकते हैं।
  4. आवास ऋण: EPF फंड का उपयोग घर खरीदने या घर के निर्माण के लिए किया जा सकता है।
  5. पेंशन लाभ: EPS के माध्यम से, आप सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन प्राप्त कर सकते हैं।
  6. बीमा लाभ: EDLI (Employees’ Deposit Linked Insurance) योजना के तहत, कर्मचारी की मृत्यु होने पर परिवार को बीमा लाभ मिलता है।

EPF खाते की निगरानी और प्रबंधन

आधुनिक समय में, EPFO ने अपनी सेवाओं को डिजिटल बना दिया है। अब कर्मचारी EPFO की आधिकारिक वेबसाइट या UMANG ऐप के माध्यम से अपने EPF खाते की जानकारी आसानी से देख सकते हैं। यहां आप अपने वर्तमान बैलेंस, पिछले ट्रांजैक्शन और अन्य विवरण देख सकते हैं।

EPF में अधिकतम रिटर्न पाने के टिप्स

  1. नियमित योगदान सुनिश्चित करें: अपने और अपने नियोक्ता के योगदान की नियमित जांच करें।
  2. वॉलंट्री प्रोविडेंट फंड (VPF): अगर आप अधिक बचत करना चाहते हैं, तो VPF में अतिरिक्त योगदान दे सकते हैं।
  3. पैसे की निकासी से बचें: जब तक अत्यंत आवश्यक न हो, EPF से पैसे निकालने से बचें, क्योंकि इससे कंपाउंडिंग का लाभ कम हो जाता है।
  4. UAN का अपडेट रखें: अपने Universal Account Number (UAN) को हमेशा अपडेट रखें और KYC विवरण पूरा करें।

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) रिटायरमेंट प्लानिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल आपकी सेवानिवृत्ति के लिए एक वित्तीय सुरक्षा जाल प्रदान करता है, बल्कि कई अन्य लाभ भी देता है। नियमित योगदान और सही निवेश रणनीति के साथ, आप EPF के माध्यम से एक महत्वपूर्ण वित्तीय कॉर्पस बना सकते हैं, जो आपके सेवानिवृत्ति के वर्षों में आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करेगा।

याद रखें, रिटायरमेंट प्लानिंग जितनी जल्दी शुरू की जाए, उतना अधिक लाभ मिलता है। इसलिए, अपने EPF का अधिकतम उपयोग करें और अपने भविष्य को सुरक्षित बनाएं।

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